भारतीय राजनीति और उसकी चुनौतियाँ (आरक्षण पर आधारीत)
आरक्षण एक साधन है गरीबो को उनकी गरीबी से दूर करने का परन्तु, हमें बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है की आज कल की राजनीती वोट के लीये इन्हे जाति के आधार पर गरीबों को गरीबों से लड़ा रही है ।सदियो पहले राजनीति मे कहा गया है की अगर आप सभी प्रजा को खुश न कर सको तो समाज के कुछ लोगो को खुश करो साम दाम दंड किसी भी तरीके से और बाकि लोगो को उसी तरह रहने दो उनका विकास न करो उन्हें कोई सुविधा न दो इस निति से तुम अगले कुछ वर्षो तक शासन कर सकते हो। जबतक की वो वंचित जनता थोडा बहुत जागरुक न हो जाये ।फिर तुम उन्हें कुछ नगद पैसे दे कर अगले कुछ सालो क लिए सत्ता हासिल कर सकते हो ।इस निति की सबसे बड़ी खासियत ये है की समय परिवर्तन से मनुष्य का विकास थोडा बहुत भले ही हो जाये लेकिन शासन की वजह से मानव का विकास नहीं होता ।आज कल की राजनीती ऐसे ही चल रही है ।इस निति से केवल शासन करने वाले और कुछ मुट्ठी भर लोगो का ही विकास होता है।पुरे समाज का विकास नहीं होता और समाज में गरीबी अमीरी की खायी बढ़ती जाती है ।मुट्ठी भर लोगो के हाथ में पैसा होता है और वो सब कुछ हासिल कर लेते है चाहे वो किसी व्यक्ति का मत ही क्यों ना हो ।क्यों की वो नही जानता की प्रजातंत्र क्या है उसकी अच्छाईय क्या है ।उसे तो बस इतना पता होता है की अमुख व्यक्ति अपनी जाती का है मत उसे ही देना है।और यहाँ अमुख व्यक्ति वाही होगा जो बात मैंने शुरू में कही है की कुछ मुट्ठी भर मानशिक गुलाम जो स्वार्थी होते है।उन्हें अपने समाज अपने प्रदेश अपने देश से कोई मतलब नहीं होता है मतलब होता है तो शिर्फ अपने स्विश बैंक अकाउंट से जो कभी ख़ाली नहीं होना चाहिए चाहे देश के एक एक व्यक्ति की कपड़े क्यों न उतर जाये ।उन्हें शिर्फ सफारी, टवेरा ,टोयटा जैसी करोडो रुपये की गाडियों से मतलब है आम आदमी के उस हीरो बाइक से नहीं जिसे चलने के लिए उसके पास पेट्रोल के पैसे नहीं है ।उन्हें घरेलु सामानों की उची कीमतों से भी कोई मतलब नहीं है क्यों की घरेलु सामान उनके यहाँ ख़रीदा नहीं जाता। साल के कुछ महीने आपके पैसे से चलने वाली संसद की फाइव स्टार होटल से चल जाता है बाकि बचे दिन विदेश की होटलों में कट जाते है वो भी आपके पैसे से।अभी भी समय है अभी तो शिर्फ 60 साल गुजरे है आखे खोलो मेरे देश वासियों नहीं तो आने वाले समय में कुछ भी नहीं बचेगा ।जाते जाते आप सभी पाठको से सवाल ।अगर आप किसी नेता से पूछो की आप नेता क्यों बने तो उसका जबाब होगा समाज की सेवा के लिए गरीबो की गरीबी दूर करने के लिए तो फिर उनके पास इतनी महँगी गाड़िया क्या कर रही है इतने पैसे क्यों है इनके पास क्यों नहीं ये अपने चुनाव क्षेत्र में एक सामूहिक लंगर चलवाते है अपनी सैलरी से ।क्यों नहीं वो पैसे दान कर देते है गरीबो में जिससे की वो अपनी जीविका चला सके ।राजनीती प्रोफेसन नहीं होता है यह देश के प्रति सेवा भाव होता है इसमें सैलरी नहीं होना चाहिए ।सैलरी लेनी है तो राजनीती छोड़ कर प्रोफेसन में आ जाओ।
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