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सेकुलर बनाम कम्युनल

 आज देश में एक बहस छिड़ी हुई है की कौन सा व्यक्ति या कौन सी पार्टी सेकुलर है! और ये बहस वहा होती है जो अपने आप को सबसे बड़ा सेकुलर मानते है अर्थात इलेक्ट्रानिक मीडिया! आज की तारीख में जब भी टीवी ओन करो किसी न किसी चैनल पे सेकुलर बनाम कम्युनल की बहस होती हुयी मिल जाएगी !दोस्तो हमें कोई बताएगा की इन टीवी पर बहस करने वालो को कौन सी संस्था ने सेकुलर होने का प्रमाण दिया है !या कौन सी यूनिवर्सिटी सेकुलर होने का सर्टिफिकेट देती है ताकि इन टीवी में डिवेट करने वालो को बता सकू की आप पहले फला यूनिवर्सिटी से प्रमाण पत्र लाईये तो मै  आपको सेकुलर मानुगा !दोस्तों आज हिंदुस्तान की कोई ऐसा टीवी चैनल नहीं है जो अपने आप को सेकुलर कह सके।आज सेकूलर का मतलब होता है हिंदू धर्म को भला बुरा कहना।अगर आप जितना भला बुरा बोलेंगे हिंदू धर्म के बारे में आप उतने ही बड़े सेकूलर।आज कल की राजनीतिक पार्टियाँ सच से कोसो दूर चली गयी है।वो जान भूझ के सच को स्वीकार नहीं कर रहे है। जबकि वास्तविकता ये है की हम सच को जितनी देर से स्वीकार करेंगे हम देश का उतना ही ज़्यादा नुक़सान करेंगे। हमें वो दिन आज भी याद है जब हम अपने गाँव

भारतीय राजनीति और उसकी चुनौतियाँ (आरक्षण पर आधारीत)

आरक्षण एक साधन  है गरीबो को उनकी  गरीबी  से दूर  करने का  परन्तु, हमें बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है की आज कल की राजनीती वोट के लीये इन्हे जाति के आधार पर गरीबों  को गरीबों से लड़ा रही है ।सदियो पहले राजनीति मे कहा गया है की अगर आप सभी प्रजा को खुश न कर सको तो समाज के कुछ लोगो को खुश करो साम दाम दंड किसी भी तरीके से और बाकि लोगो को उसी तरह रहने दो उनका विकास न करो उन्हें कोई सुविधा न दो इस निति से तुम अगले कुछ वर्षो तक शासन कर सकते हो। जबतक की वो वंचित जनता थोडा बहुत जागरुक  न हो जाये ।फिर तुम उन्हें कुछ नगद पैसे दे कर अगले कुछ सालो क लिए सत्ता हासिल कर सकते हो ।इस निति की सबसे बड़ी खासियत ये है की समय परिवर्तन से मनुष्य का विकास थोडा बहुत भले ही हो जाये लेकिन शासन की वजह से मानव का विकास नहीं होता ।आज कल की राजनीती ऐसे ही चल रही है ।इस निति से केवल शासन करने वाले और कुछ मुट्ठी  भर लोगो का ही विकास होता है।पुरे समाज का विकास नहीं होता और समाज में गरीबी अमीरी की खायी बढ़ती  जाती है ।मुट्ठी भर लोगो के हाथ में पैसा होता है और वो सब कुछ हासिल कर लेते है चाहे वो किसी व्यक्ति का मत ही क्य